Monday, January 11, 2010

उम्मीद



ना  हार  से  ना  जीत  से
बस  केवल  एक  उम्मीद  से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ 







हार  तो   कई  बार  हुई  और  ना  जाने  फिर  कितनी  बार  होगी
हर  लक्ष्य  के  समीप  एक  नयी  दीवार  खड़ी  होगी
पर  यकीं  है  कि हर  हार  की  फिर  हार  होगी
क्योंकि  ना  हार  से  ना  जीत  से
बस  केवल  एक  उम्मीद  से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ


जानता  हूँ  कई  बार  राह  नज़र  नहीं  आएगी
नज़र  भी  आई  तो   परिस्थितियों  के  थपेड़ों  में  मिट  जायेगी
पर  यकीं  है  हर  मिटी  राह  पर  एक  नयी  राह  बन  जाएगी
क्योंकि  ना  हार  से  ना  जीत  से
बस  केवल  एक  उम्मीद  से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ


यकीं  है  हर  कठिनाई   से  लड़  जाऊंगा
मौत  भी आई  तो  शहीद  ही  कहलाऊंगा
डर  है  तो  केवल  इस  उम्मीद  के  चोरी  हो  जाने  का
क्योंकि  ना  हार  से  ना  जीत  से
बस  केवल  एक  उम्मीद  से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता  हूँ

मन एक जुलाहा

मन एक जुलाहा फंसी डोर सुलझाना, चाहे सिरा मिले न मिले कोशिश से नहीं कतराना, जाने मन ही मन कि जब तक जीवन तब तक उलझनों का तराना फिर भी डोर सुलझ...