Monday, February 22, 2010

जिंदगी

सूरज के साफ़ उजाले की तरह जिंदगी के हर पल उजले नहीं होंगे
कभी राहें नहीं होगी तो कभी हमराही नहीं होंगे
कर्त्तव्य का दीपक जलाए रखना साथी
क्यूंकि हर वक़्त आंधी नहीं होगी हर पल तूफान नहीं होंगे

जिंदगी की राह में पत्थर भी मिलेंगे कांटे भी मिलेंगे
कांटे और पत्थर क्या, दोस्त बन कर कुछ लोग गिराने वाले भी मिलेंगे
गिरने पर भी उठ खड़े होना साथी
क्यूंकि हर वक़्त ठोकरें नहीं होंगी हर पल गिराने वाले नहीं होंगे

मुश्किलें तो हवा का झोंका है आएंगी और जाएंगी
हिम्मत मत हारना साथी बुझती लौ ही नए दीपक को जलाएँगी
पर तू जो ठोकर से टूट गया या कर्त्तव्य से छूट गया
तो फिर तेरी जीत के किस्से नहीं होंगे तेरी कब्र पर पर रोने वाले नहीं होंगे

मन एक जुलाहा

मन एक जुलाहा फंसी डोर सुलझाना, चाहे सिरा मिले न मिले कोशिश से नहीं कतराना, जाने मन ही मन कि जब तक जीवन तब तक उलझनों का तराना फिर भी डोर सुलझ...