असफलता से हताश न हो
हार ही तो जीत का प्रतिबिम्ब है
गिर कर उठना जीवटता का चिह्न है
हार तो संघर्षरत ही पाएगा
जिसने जंग ही नहीं लड़ी वह क्या मात खायेगा
भाग्य नहीं कर्म को बना अपनी अस्मिता
कर्म ही रचता है सफलता की सूत्रधारिता
भाग्य तो कायरों का अधिष्ठाता है
कर्म करता जा तू क्यों घबराता है
मत भूल तू असीम शक्ति का श्रोत है
तेरा अंतःकरण ज्वाला का धोत है
ये न्यूटन आइन्स्टीन क्या आंसमा से आये थे
नहीं जमीं मे पैदा हुए थे जमीं मे ही समाये थे
वे भी तो दो हाथ और दो पैर वाले थे
पर आत्मविश्वास मे मतवाले थे
आत्मविश्वास ही सफलता का पर्याय है
कर्म करता जा बस मेरा इतना अभिप्राय है
कर इरादा आसमा जमीन मे मिला देगा
बंजर मे भी गुलाब के फूल खिला देगा
तू क्या है दुनिया को आज दिखा दे
अपनों सपनों को साकार करके दिखा दे
हे वीर निराशा के तिमिर को मिटा दे
और आशा रूपी नवदीप को जला दे