Tuesday, April 13, 2021
मन एक जुलाहा
मन एक जुलाहा फंसी डोर सुलझाना,
चाहे सिरा मिले न मिले कोशिश से नहीं कतराना,
जाने मन ही मन कि जब तक जीवन तब तक उलझनों का तराना
फिर भी डोर सुलझाना|
मन एक जुलाहा धागों पर रंग चढ़ाना,
कुछ अपने कुछ औरों के दुख को रंगो में डुबाना,
जाने मन ही मन कि सुखदुख जीवन का फ़साना,
फिर भी रंग चढ़ाते जाना |
मन एक जुलाहा हर पल बुनना ताना बाना,
कभी बनी है सुन्दर चादर कभी अधबुना फ़साना,
जाने मन ही मन कि कुछ भी संग नहीं जाना,
फिर भी बुनना ताना बाना |
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मन एक जुलाहा
मन एक जुलाहा फंसी डोर सुलझाना, चाहे सिरा मिले न मिले कोशिश से नहीं कतराना, जाने मन ही मन कि जब तक जीवन तब तक उलझनों का तराना फिर भी डोर सुलझ...