Sunday, December 9, 2007

हार

तेरे सपनों कि उडान अभी बाक़ी है
अभी तो केवल हार हुई है, जीत का असली मुकाम अभी बाकी है

वो कौन है जिसने जीवन मे हार नहीं पाई
किसके जीवन मे दुःख कि घडी नहीं आई

असफलता के बाद तो हर इन्सान रो सकता है
अपनी दुर्गति के लिए परिस्थिति को कोस सकता है

पर किस्मत पर चिल्लाने से तकदीर नहीं खिलती
उठ जा ओ राही रोने से मंजिल नहीं मिलती

तेरे सपनो कि उडान अभी बाकी है
अभी तो केवल हार हुई है जीत का असली मुकाम अभी बाकी है

जब उड़ने कि ठानी है तो गिरने से डरना क्यों
जब छूना है आसमाँ तो घुटनों के बल चलना क्यों

मुश्किलों के झोके तो आएंगे, कदम भी कई बार लड़खड़ाएँगे
पर मेरे दोस्त मंजिल हम तभी पाएंगे, जब हर हार के बाद भी हम लड़ते जाएँगे

गिरना,हारना पर हर हार के बाद भी बढ़ते जाना
जब तक मंजिल न मिले सपनों का दीपक मत बुझाना

क्योंकि सपनों कि उडान अभी बाकी है
अभी तो केवल हार हुई है जीत का असली मुकाम अभी बाकी है

2 comments:

  1. अभी तो सिर्फ हार हुई है, जीत का असली मुकाम अभी बाकी है !
    हर हार उस जीत अभिलाषा को और तीव्र करता है,
    वो जीत, जो हर इक हार को भुला देगी, मेरे सपनो को वास्तविकता का धरातल देगी
    वो जीत, हर उस शख्स पर हसेगी जो आज मेरी हार पर हँसा है
    अभी तो सिर्फ हार हुई है, जीत का असली मुकाम अभी बाकी है !
    सच कहू तो ये मेरी हार नहीं है ये तो एक और यादगार लम्हा है
    जो मेरी उस जीत को और भी आनंद से लबरेज़ करेगा !
    उस जीत में मज़ा ही क्या है जो आसानी से मिल जाये,
    आसानी से जो मिल जाये वो जीत नहीं होती, दौड़ में अकेले भागने वाले की कभी जीत नहीं होती !
    हर उस हार का भी आनंद लेना चाहता हू अगली बार चक दे फट्टे कर देना चाहता हू
    अभी तो सिर्फ हार हुई है, जीत का असली मुकाम अभी बाकी है !
    इन्तेज़ार है मुझे उस जीत का,
    क्योकि अभी तो सिर्फ हारा हू, हार नहीं मानी है, जीत का असली मुकाम अभी बाकी है !

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