ना हार से ना जीत से
बस केवल एक उम्मीद से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
बस केवल एक उम्मीद से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
हार तो कई बार हुई और ना जाने फिर कितनी बार होगी
हर लक्ष्य के समीप एक नयी दीवार खड़ी होगी
पर यकीं है कि हर हार की फिर हार होगी
क्योंकि ना हार से ना जीत से
बस केवल एक उम्मीद से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
जानता हूँ कई बार राह नज़र नहीं आएगी
नज़र भी आई तो परिस्थितियों के थपेड़ों में मिट जायेगी
पर यकीं है हर मिटी राह पर एक नयी राह बन जाएगी
क्योंकि ना हार से ना जीत से
बस केवल एक उम्मीद से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
यकीं है हर कठिनाई से लड़ जाऊंगा
मौत भी आई तो शहीद ही कहलाऊंगा
डर है तो केवल इस उम्मीद के चोरी हो जाने का
क्योंकि ना हार से ना जीत से
बस केवल एक उम्मीद से
वक़्त के पन्नों पर कुछ लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
mind blowing stuff Sharda ..
ReplyDeleteThis is really good ... keep writing.
ReplyDeleteMaan gayee sharda yaar...keep exploring...
ReplyDeletebadhiya hai.......i hope aapne hi likhi ho :P
ReplyDeleteThanks everyone for the encouraging words... This poem is specially composed for Ordell's endeavor.
ReplyDeleteawsome man.. ye khoobi kaha chupaa kar rakhi thi aaj tak..
ReplyDeleteawesome stuff... too gud.. :)
ReplyDeletewill wait for more from u...
hey wow sir, tht is wonderful !! :)
ReplyDeletegreat poem sir ....... kya ap pehle se likhte thea.........bohot acha likha hai.............
ReplyDeleteSuperlative!!
ReplyDeletekya mast likhe ho...yaar.....gr88888
ReplyDeletetoo good bhai!!! its just too good...looking forward to more stuff like dat.. :)
ReplyDeleteaapki kavita dil tak utar jati hai..aap u hi likhte rahiyega.
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