Saturday, March 13, 2010

तो याद रखना

गर गिरे तो याद रखना  तू शीशा नहीं जो गिरने से बिखर जाएगा
गर हारे तो याद रखना तू मोम नहीं जो जरा सी हार से पिघल जाएगा
इतिहास गवाह है बुरा वक़्त भी वक़्त के साथ गुजर जाएगा
आँखों में ललक हो सीने में धड़क हो
रुकें न कदम चाहे अनजानी सड़क हो

गर साथ न मिले कोई तो याद रखना  तू भेड़ नहीं जो भीड़ के बिना चल न पाएगा
गर हाथ न मिले कोई तो याद रखना तू तिनका नहीं जो लहरों में बह जाएगा
इतिहास गवाह है कोई हो न हो अपनेआपको को सदा अपने साथ पाएगा
आँखों में ललक हो सीने में धड़क हो
रुकें न कदम चाहे अनजानी सड़क हो


गर तू ये भूल गया अपने सपनो से डोल गया
तो याद रखना तेरा सपनो का महल सपनो में बुनकर रह जाएगा
फिर इतिहास तेरे सपनो का गवाह बनकर कैसे ये कह पाएगा
आँखों में ललक हो सीने में धड़क हो
रुकें न कदम चाहे अनजानी सड़क हो

3 comments:

  1. Sir, please feel free to add value to our institute activities. We intend to have more contribution from the alumni side for post Mindbend activities. www.mindbend.in

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  2. i wish that more and more people should have feelings like yours....and that thoes feelings should not remain calm in their hearts

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