Monday, February 14, 2011

क्यूंकि मै एक आम आदमी हूँ


स्ट्रीट लाइट पर लगा है बल्ब पर जलते उसे कभी देख नहीं सकता;
जलाती है भीड़ राह खडी बसों को पर उन्हें जलने से रोक नहीं सकता ;
दुखी होना फिर भूल जाना मेरी फितरत है;
क्यूंकि मै एक आम आदमी हूँ.

रिश्वत खिलाना गलत है पर बिना रिश्वत दिए फ़ाइल बढ़ते देख नहीं सकता ;
आय चाहे लाखों में हो पर मौका मिले तो अपने आपको बी.पी. एल दिखाने से रोक नहीं सकता;
गलत को चलने देना फिर कभी खुद  गलत करना मेरी फितरत है;
क्यूंकि  मै  एक आम आदमी हूँ.

सिस्टम गन्दा  है ये हर चाय की दूकान पर सुनता हूँ पर कुछ कर नहीं सकता;
इंतज़ार है किसी सुभाष किसी भगतसिंह के आने का सिस्टम साफ़ करने  के लिए पर तब तक अपने हाथ गंदे कर नहीं सकता;
गंदगी को कोसना फिर उसी में सो जाना मेरी फितरत है;
क्यूंकि  मै  एक आम आदमी हूँ.
देश को बिकते देखता हूँ पर कुछ कर नहीं सकता;
मल्टीनेशनल कंपनी के बड़े बड़े प्रजेक्ट को मैनेज करता हूँ पर  देश के लिए समय दे नहीं सकता ;
आम आदमी का चोला पहनकर देश को कोसना मेरी फितरत है;
क्यूंकि  मै  एक आम आदमी हूँ.

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