न जंग का भय है न शान्ति का मुकाम है ;
न जीत का गुरुर है न हार का मलाल है ;
चल सको तो संग चलो ये स्वप्न का सवाल है ;
न धूप की अगन है न छाँव का सुकून है ;
न सुबह की उमंग है न शाम की थकान है;
चल सको तो संग चलो ये स्वप्न का सवाल है;
न भीड़ का साथ है न बड़ा सर पे हाथ है;
हाँ है खुदा का फ़र्ज़ ये और मै उसका कर्ज़दार हूँ ;
हो मुझ पे जो भरोसा;
एक मेरा हाथ है और एक तेरा हाथ है;
चल सको तो संग चलो ये स्वप्न का सवाल है .
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