इतिहास से आज मै पूछ बैठा;
उपरवाले ने हर एक को वही हाथ वही पैर दिए;
वही थोड़ी सी बुद्धि वही चलने के सलीके दिए ;
वही कुछ कर गुजरने के बारूद के ढेर भी मन में भर दिए ;
फिर भी तुम्हारी जुबां पर कुछ ही लोगों का नाम पता क्यूँ होता है ;
क्यूँ चंद नामों का ही नाम तुम्हारी किताबों में बयां होता है ;
तुम क्यूँ हर नाम का जोखा नहीं बताते;
ऐसा पछ्पात करते क्यूँ नहीं सकुचाते;
इतिहास से आज मै पूछ बैठा.
इतिहास थोडा मुस्कुराया;
अपनी नयी किताब एक पन्ना पलट कर फ़रमाया;
कोई शक नहीं वही बुद्धि और कर गुजरने के बारूद के ढेर सभी को मिलें हैं ;
बस फर्क सिर्फ इतना है कोई उसपर आंसुओं का पानी डालकर गलने देता है;
कोई उम्मीद की एक छोटी सी चिंगारी बनकर सफलता की ज्वाला खडी कर देता है;
दोनों की दास्ताँ बिना पछ्पात मेरे पन्नों में दर्ज होती है;
दोनों की दास्ताँ बिना पछ्पात मेरे पन्नों में दर्ज होती है;
बस उम्मीदवाले की चिंगारी उस दास्ताँ को अमिट बना देती है ;
और आंसुवाले की दास्ताँ उसके आंसुओं में मिट जाती है;
इन्ही अमिट और मिटे हुए पन्नो से एक नयी इतिहास ही किताब बन जाती है.
Kyun jeet ko itna zaroori bana diya
ReplyDeleteJo hara bhi insaan tha
Jo jeeta bhi insaan tha
Farrk nahi hai dono mein
bas mera darr hai haar ka
Ya meri chaah hai jeet ki
So truly expressed dear :)
ReplyDeletewaise i guess history is not just about success..it equally includes failures...only thing which is doesn;t include is the case where "no effort" has been made,,, and most often this happens when we sit and cry instead of taking next step