Wednesday, October 13, 2010

सवाल ये नहीं

सवाल ये नहीं कि मंजिल  कितनी दूर है;
सवाल ये भी नहीं कि जीवन के चौराहे पर निर्णय बड़ा गंभीर है ;
मंजिल नहीं आसान ये तर्क तो कायर लेते  हैं; 
लक्ष्य है जिनकी आँखों में उन्हें  धूप छाँव फर्क नहीं  देते हैं ;
कठिन निर्णय लेने में कदम केवल मौकापरश्तों के घबराते हैं ;
जिन्हें हैं सपनों का जूनून सवार वो डूबती नावं में भी तैर जाते हैं.

सवाल ये नहीं कि राह में कोई साथी नहीं है;
सवाल ये भी नहीं कि राह में उजाला देने वाले दीपक में बाती नहीं है ;
भीड़ के साथ चलने के विचार तो केवल भेड़ों के मन में पलते हैं ;
लक्ष्य जिन्हें है पाना वो वक़्त पड़ने पर अकेले ही चल पड़ते हैं ;
रात के अंधेरों में कदम केवल अधूरी इच्छा वालों के रुकते  हैं;
जिनके सपनों में हो सच्चाई उनके क़दमों कि आहट से बिना बाती के दीपक भी जल उठते हैं ;

4 comments:

  1. Superb, this is a real perfect thinking which if a person upholds will never falter in his life...

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  2. awesome sharda, keep it up.. jitesh

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मन एक जुलाहा

मन एक जुलाहा फंसी डोर सुलझाना, चाहे सिरा मिले न मिले कोशिश से नहीं कतराना, जाने मन ही मन कि जब तक जीवन तब तक उलझनों का तराना फिर भी डोर सुलझ...