Friday, July 16, 2010

तो यकीं रखों

रेत की दीवार नहीं जो हवा के झोंके से गिर जाएँगे
पत्ते की पतवार नहीं जो पानी में बह जाएंगे
आजमाने की गलती न करना अगर  इरादा  कर बैठे
तो यकीं रखो  पानी  का बहना और हवा का उड़ना भी रोक जाएँगे 

खाई खोद कर चाहे राह ही मिटा दो
मुश्किलों के चाहे कितने घने बादल चढ़ा लो
अगर ये सोचते हो की मुश्किलें के बादल हमें डरा देंगे  
तो यकीं रखों हम वो राही हैं जो इस सोच को ही मिटा देंगे 

मानते हैं  संघर्ष की इस राह पर कई बार कदम रुकेंगे
तेज़ दौड़ने से पहले कुछ कदम धीरे भी चलेंगे
मगर इस पड़ाव को यदि हमारी मंजिल समझ बैठे
तो यकीं रखो इस  मंजिल पर पहुँचने से पहले अगले मुकाम का पता भी बता देंगे 

2 comments:

  1. BHISHAN KRANTI KI ABHASSSSS.........

    ReplyDelete
  2. Yes.. post friday (last week).. It has to be..or Else Disha will not move up

    ReplyDelete

मन एक जुलाहा

मन एक जुलाहा फंसी डोर सुलझाना, चाहे सिरा मिले न मिले कोशिश से नहीं कतराना, जाने मन ही मन कि जब तक जीवन तब तक उलझनों का तराना फिर भी डोर सुलझ...