Sunday, July 25, 2010

वो .............न हो

वो विश्वास ही क्या जो मुश्किल  की घडी में साथ न हो
वो उम्मीद ही क्या जिससे  अँधेरे में  रौशनी की आस न हो
पल दो पल के सपने तो सभी देखते हैं  
वो सपना ही क्या जिसकी उम्र जिंदगी की उम्र से समरास न हो 

वो सब्र ही क्या जो बेसब्री में पास न हो
वो हौंसला ही क्या जिससे टूटती  साँसों में पार  न हो 
जीत के सिलसिले लगें हो तो कायर भी जीत  जाते हैं
वो जीत ही क्या जिसके आने के पहले कई बार हार न हो 

वो ऊंचाई ही क्या जहाँ पहुंचकर अपने साथ न हो 
वो दौलत ही क्या जो जरूरतमंद की जरूरत का प्रभाष  न हो 
मुश्किलें समझाने से तो सभी समझ जाते हैं 
वो दोस्त ही क्या जिन्हें इन शब्दों के अन्दर छुपें दर्द का आभाष  न हो 

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